पढ़िए युवा कवि नेमीचंद मावरी की रचना-सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी
1 min readसड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी
खून से सने हाथों से गिरेबाँ पकड़ी जाएगी,
सामंती तलवारें नन्हें हाथों में लहराएंगी,
गठजोड़ों के नाम पर छुरियाँ घोंपी जाएँगी,
मौत माशूका बनकर गले से लग जाएगी,
सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी।
एहसास के अंतर में अश्रु छुपे होंगे,
दामन में धरती माँ के कोयले ही होंगे,
आदमी के गोश्त से भूख मिटाई जाएगी,
सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी।
कालचक्र की धुरी से हम छिद रहे होंगे,
पत्तों से बदन हम अपने ढक रहे होंगे,
जीवन की सींदड़ी महंगाई से बंध जाएगी,
कफ़न बिना ही लाश भी दफ़ना दी जाएगी,
सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी।
शंखनाद मर्म का हम स्वयं करते जाएँगे,
तोपों से खेतों के तोते उड़ाए जाएँगे,
रखवाली के नाम पर कौवों की भीड़ होगी,
सामंतियों की धमक से कोयलें उड़ जाएँगी,
सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी।
राही प्रेम राह पर अनगिनत गुजर जाएँगे,
नीर भरी आँखों में सपने बह जाएँगे,
पाजेब की छन-छन फिर से कोठियों में बज जाएगी,
इंतज़ार करने वाली आँखें चुनिंदा रह जाएँगी,
सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी।
मौलिक व स्वरचित
नेमीचंद मावरी “निमय”
बूंदी, राजस्थान
युवा कवि, लेखक व रसायनज्ञ हैं, जिन्होंने “काव्य के फूल-2013”, “अनुरागिनी-एक प्रेमकाव्य-2020” को लेखनबद्ध किया है। स्वप्नमंजरी- 2020 साझा काव्य संग्रह का कुशल संपादन भी किया है। लेखक ने बूंदी व जयपुर में रहकर निरंतर साहित्य में योगदान दिया है तथा पत्रिका स्तंभ, लेख, हाइकु, गजल, मुक्त छंद, छंद बद्ध, मुक्तक, शायर, उपन्यास व कहानी विधा में अपनी लेखनी का परिचय दिया है।