प्रशासन की चेतावनी के बावजूद गंगा घाटों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, सूर्यदेव को अर्घ्य देकर किया व्रत का पारायण
1 min readछठ महोत्सव के अंतिम दिन की सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारायण करके छठ पूजन का समापन हो गया। उत्तराखंड में अधिकांश जिलों में प्रशासन ने छठ पूजन को घर में ही मनाने की सलाह दी थी। इसके बावजूद ऋषिकेष, हरिद्वार में गंगा नदी सहित अन्य नदियों में श्रद्धालुओं की सुबह से ही भीड़ उमड़ी। सुबह अर्घ्य देने का समय छह बजकर 48 मिनट था। इससे पहले ही हजारों श्रद्धालु गंगाघाट पहुंच गए। ऋषिकेश के त्रिवेंणीघा में श्रद्धालुओं ने सुबह नीलकंठ देवता की ओर से उगते सूरज को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही छट व्रत का पारायण किया। इसके साथ ही छठ पर्व का समापन हो गया है।
छठ पूर्व में सूर्य की आराधना का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। कहा जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति तथा संपन्नता प्रदान करती हैं। छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है।
ये हुआ छठ पर्व में
-पहला दिन 18 नवंबर को नहाय खाय से पर्व की शुरुआत की गई। इस दिन व्रत रखने महिलाएं स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करती हैं। शाम को शाकाहारी भोजन किया गया।
-दूसरे दिन 19 नवंबर को खरना के दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को महिलाओं ने पूरे दिन व्रत रखा और शाम को भोजन किया। शाम को चाव व गुड़ से खीर बनाकर खाई जाती है।
-तीसरे दिन (षष्ठी के दिन) 20 नवंबर को छठ पर्व का प्रसाद बनाया गया। अधिकांश स्थानों पर चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। प्रसाद व फल बांस की टोकरी में सजाये गए। टोकरी की पूजा की गई। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने और तालाब, नदी या घाट पर पूजा की गई। इस दौरान स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा की गई।
-चौथे दिन: आज सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पूजा के बाद प्रसाद बांट कर छठ पूजा संपन्न की गई। छठ पर्व को लेकर श्रद्धालुओं के द्वारा शकरकंद, लौकी एवं गन्ने की खरीदी की जाती। वहीं पर्व को देखते हुए बाजार में इनकी आवक बढ़ गई थी।
शुक्रवार की शाम भी रही नदियों में अर्घ्य देने को भीड़
लोक आस्था का महापर्व छठ के तीसरे दिन शुक्रवार शाम को देहरादून शहर में अधिकांश श्रद्धालुओं ने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दिया। छठ मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की।
सामुदायिक भवन में बनाया था तालाब
देहरादून के लौहारवाला में बिहार समुदाय के परिवार ने सामुदायिक भवन में तालाब बनाकर खुशहाली के लिए अर्घ्य दिया। इसके अलावा मिथिला पूर्वा देवभूमि महासभा समिति ने काठबंगला, मिथिलांचल छठ पूजा समिति के बैनर तले भंडारीबाग में श्रद्धालुओं ने सूर्यास्त से कुछ समय पहले सूर्य देव की पूजा हुई। इसके बाद सूर्य देव को अघ्र्य देकर परिक्रमा की।
प्रशासन की गाइडलाइन का उल्लंघन
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए बड़े आयोजन स्थगित हैं। बीते गुरुवार को प्रशासन ने छठ पर्व को लेकर सार्वजनिक स्थानों और घाटों पर आयोजन न करनेके आदेश दिए थे। वहीं, शुक्रवार को बिहारी समाज के कई व्यक्तियों ने आदेश का अनदेखा कर घाटों पर जा पहुंचे। इनमें कई लोगों को पुलिस ने लौटा दिया था। वहीं, टपकेश्वर महादेव सेवादल की ओर से तमसा नदी में जल अर्घ्य न करने की अपील के बाद शाम के वक्त लोग काफी संख्या में यहां पहुंचे और पूजा की। यहां शारीरिक दूरी और मास्क न पहकर कई श्रद्धालु कोविड-19 का पालन न करते हुए दिखाई दिए।