पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 103वीं जयंती पर कांग्रेस मुख्यालय में किया गया भावपूर्ण स्मरण
1 min readदेश की पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न इंदिरा गांधी की 103वीं जयंती के अवसर पर कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में भावपूर्ण स्मरण किया गया। साथ ही उनके देश के लिए किए गए योगदान को याद किया गया। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि इंदिरा जी जब युवा अवस्था में देश की आजादी के आंदोलन में शामिल हुईं तो उनके पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू व दादा मोती लाल नेहरू भी आजादी के आंदोलन में सक्रिय थे और कांग्रेस की अगली पंक्ति के नेता थे।
यह पूरी दुनिया में एक नजीर है कि देश की आजादी के संघर्ष में तीन पीढ़ियां एक साथ संघर्ष करें। धस्माना ने कहा कि इंदिरा जी ने जब देश के प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली तब उनकी क्षमताओं पर कई लोगों को शक था, लेकिन जब उन्होंने ये धारणा खत्म की। बैंकों के राष्ट्रीयकरण, हरित क्रांति, गरीबी हटाओ जैसे कदम उठाए तो लोगों ने उनके नेतृत्व का लोहा मान लिया। जब उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश बनाया तो संसद में तत्कालीन नेता विपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने खड़े होकर इंदिरा जी को दुर्गा कहा।
पूर्व कैनिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि इंदिरा जी का व्यक्तित्व चमत्कारिक था। उन्होंने कभी देश हित के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज छोटे छोटे हवाई हमलों पर जो अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकते, श्रीमती गांधी के नेतृत्व में इस देश की बहादुर सैना ने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों से हाथ खड़े करवा कर आत्मसमर्पण करवा दिया था।
पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने कहा कि इंदिरा गांधी जैसी शख्शियत सदियों में जन्म लेती है। गोष्ठी को पूर्व विधायक राजकुमार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरपी रतूड़ी, कमलेश रमन व राजेश शर्मा ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लाल चंद शर्मा ने किया। गोष्ठी में गरिमा दसौनी, लाखी राम बिजल्वाण, महेश जोशी, ललित भद्री, श्रीमती मंजू त्रिपाठी आदि भी उपस्थित रहे।