नहाय खाय के साथ शुरू हुआ छठ पूजन महोत्सव, दून प्रशासन ने जारी की गाइडलाइन, घर पर त्योहार मनाने की सलाह
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पूरे देश में छठ पूजा पर कोरोना महामारी का असर पड़ेगा। सार्वजनिक स्थानों पर कम भीड़ जुटाने की अपील की जा रही है। लोगों से कहा जा रहा है कि वे घर पर ही जल स्रोत बनाकर पूजा अचर्ना करें। साथ ही नाक व मुंह में मास्क, दो गज की दूरी और हाथों को बार बार साफ करने के नियमों का भी इस बार ख्याल रखना होगा। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से हो गई है। इसके अगले दिन खरना होता है, तीसरे दिन छठ पर्व का प्रसाद तैयार किया जाता है और स्नान कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व के चौथे और आखिरी दिन उगले सूर्य की आराधना की जाती है। इस तरह चार दिवसीय छठ पर्व पूर्ण होता है। छठ के संबंध में यहां बता रहे हैं आचार्य डॉ. सुशांत राज। वहीं, दून जिला प्रशासन ने गाइडलाइन जारी कर दी। घर पर ही त्योहार मनाने की सलाह दी गई है।
सूर्य की आराधना का महत्व
छठ पूर्व में सूर्य की आराधना का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। कहा जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति तथा संपन्नता प्रदान करती हैं। छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है।
पूजा के मुहूर्त :
-20 नवंबर छठ पर्व की शुरुआत होगी। इस दिन सूर्योदय – 06:48 पर होगा तथा सूर्यास्त – 17:26 पर होगा।
-वैसे षष्ठी तिथि एक दिन पहले यानी 19 नवंबर को रात 9:58 से शुरू हो जाएगी और 20 नवंबर को रात 9:29 बजे तक रहेगी। इसके अगले दिन सूर्य को सुबह अर्घ्य देने का समय छह बजकर 48 मिनट है।

छठ पूजन को जिला प्रशासन ने जारी किए निर्देश
देहरादून जिला प्रशासन ने छठ पूजने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए। इसके तहत कन्टेनमेंट जोन में छठ पूजा का आयोजन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही प्रशासन ने नदियों, घाटों में अर्घ्य देने के स्थान पर घरों पर ही त्योहार मनाने की सलाह दी।
जिला प्रशासन की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया कि 20 नवंबर को छठ पूजा के कार्यक्रम में नदियों, घाटों, नहरों में सामूहिक सूर्य अर्ण व पूजन के स्थान पर सभी श्रद्धालुओं को अपने-अपने घरों में ही रहकर उचित दूरी बनाये रखते हुए सूर्य अर्घ्य पूजन का कार्यक्रम सम्पन्न करना आवश्यक है। साथ ही कोरोना से बचाव के लिए निम्न मानक प्रचलन विधि जारी की जाती हैसभी श्रद्धालु नदी किनारों, नहरों अथवा सार्वजनिक स्थानों पर छठ पर्व का आयोजन करने के स्थान पर अपने अपने घरों में पूजन एवं अर्घ्य देंगे।
ये हैं निर्देश-
-सभी श्रद्धालु को कोविड-19 से बचाव के लिये दो गज की दूरी बनाये रखना आवश्यक है।
-इस दौरान सभी श्रद्धालुओं को मास्क पहनना अनिवार्य है। सभी श्रद्धालु छठ पूजा के कार्यक्रम के दौरान अधिक संख्या में घरो में एकत्रित न हो।
-10 वर्ष से कम आयु के बच्चो का छठ पूजा के कार्यक्रम के दौरान विशेष ध्यान रखा जाय।
-05 वर्ष से अधिक आयु के स्त्री, पुरुषों को अपने स्वास्थ्य हित में इस कार्यक्रम से दूरी
बनाये रखना उचित होगा।
-समय समय पर भारत सरकार राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा जारी किये गये
दिशा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा, जिसमें सोशल डिस्टेसिंग, सेनेटाइजेशन और मास्क का प्रयोग इत्यादि शामिल है।
-यह कार्यालयादेश सम्पूर्ण जनपद देहरादून के लिए लागू होगा।
किस दिन क्या होता है
-पहला दिन (नहाय खाय, 18 नवंबर दिन बुधवार): व्रत रखने महिलाएं स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करती हैं। शाम को शाकाहारी भोजन होती है।
-दूसरा दिन (खरना, 19 नवंबर दिन गुरुवार): कार्तिक शुक्ल पंचमी को महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं। शाम को चाव व गुड़ से खीर बनाकर खाई जाती है।
-तीसरे दिन (षष्ठी के दिन): इस दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है। अधिकांश स्थानों पर चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। प्रसाद व फल बांस की टोकरी में सजाये जाते हैं। टोकरी की पूजा की जाती है। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाती हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा की जाती है।
-चौथे दिन: सूर्योदय के समय भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के बाद प्रसाद बांट कर छठ पूजा संपन्न की जाती है। छठ पर्व को लेकर श्रद्धालुओं के द्वारा शकरकंद, लौकी एवं गन्ने की खरीदी की जा रही है। वहीं पर्व को देखते हुए बाजार में इनकी आवक बढ़ गई है।
इस दिन ये होगा
18 नवंबर (बुधवार) : नहाए खाए
19 नवंबर : खरना
20 नवंबर : शाम का अर्घ्य
21 नवंबर : सुबह का अर्घ्य
आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शनि मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।
मो. 9412950046
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।