पढ़िए कवयित्री प्रियंका शर्मा की शानदार रचनाएं, लोकसाक्ष्य के लिए भी उदगार किए विचार
1 min readख्वाहिश
मैंने भगवान से मांगी शक्ति,
उसने मुझे दी कठिनाइयां
हिम्मत बढ़ाने के लिए !
मैंने भगवान से मांगी बुद्धि ,
उसने मुझे दी उलझने
सुलझाने के लिए!
मैंने भगवान से मांगा प्यार
उसने मुझे दिए दुखी लोग
मदद करने के लिए !
मैंने भगवान से मांगी हिम्मत ,
उसने मुझे दी परेशानियां
उबर पाने के लिए !
मैंने भगवान से मांगा वरदान
उसने मुझे दिए अवसर
उन्हें पाने के लिए !
मुझे वह नहीं मिला जो मैंने मांगा था!
वह मिल गया जो मुझे चाहिए था !
लोकसाक्ष्य के लिए रचना
प्रकाशित हो रहा समाचार लोकसाक्ष्य का !
मिला कहीं से मुझको यह समाचार !
सोचा मैं भी लिख डालू
कविता अपनी दो चार!
क्या लिखूं कैसे लिखूं
समझ नहीं मुझको कुछ आता!
बैठे-बैठे मेरा सारा समय गुजर जाता!
कविता लिखूं या लिखूं कहानी
या लिख डालू कोई लेख !
इसी सोच में बैठी हूं मैं!
अपना सिर हाथों में टेक!
पूछा भाई कोई विषय बताओ!
नया कोई प्रसंग लाओ!
जिसको पढ़ कर सब रस विभोर हो!
मन में वही उमंग जगाओ!
सोचा कुछ लिखने को!
कोई विषय ना मिल पाता !
बीत गया दिन संध्या और रात!
हृदय पुष्प ना खिल पाता!
इन्हीं विचारों में जाकर!
तुनक बंदी कर डाली!
टूटे-फूटे शब्दों में यह !
छोटी कविता लिख डाली!
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रियंका शर्मा
शिक्षा-स्नातक 2005
स्नातककोतर-2007
निवासी-गणपति विहार निकट माहिपुरा चौक जनता रोड जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश।
कवयित्री प्रियंका शर्मा बचपन से कविताएं, गजल व शायरी लिखती हैं।