Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

June 6, 2023

आपदा के दौरान इस मंदिर तक दौड़ लगाकर बची थी हजारों की जान, शीतकाल के लिए बंद किए कपाट

1 min read

केदारनाथ धाम के रक्षक भंकुट भैरवनाथ जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अब यहां भैरव बाबा की पूजा आगामी छह माह बाद केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से शुरू होगी। भैरवनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही केदारनाथ धाम में भोले बाबा के मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। केदारनाथ मंदिर के कपाट 16 नवंबर को भैया दूज के अवसर पर बंद होंगे। धाम के कपाट बंद होने का समय सुबह साढ़े आठ बजे का है।
केदानाथ मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर भंकुट भैरवनाथ का मंदिर है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढीनुमा खड़ी चढ़ाई है। वर्ष 2013 की आपदा के दौरान कई लोगों ने इस मंदिर तक दौड़ लगा दी थी। इससे वे जल प्रलय की चपेट में आने से बच गए थे। ऐसे हजारों लोग थे, जो यहां तक पहुंचकर जान बचाने में कामयाब रहे।


भैरव जी का मंदिर ऊंचाई में पहाड़ी की टॉप पर है। यहां टिन की शेड है। साइड में चिनाई दीवार आदि नहीं है। चौरस खुला क्षेत्र है। यहां से आसपास का विहंगम दृश्य नजर आता है। चारों तरफ रैलिंग लगी है। इसी पर पीछे की तरफ मंदिर में जाने के लिए कपाट बने हैं। इसे आज बंद करने के लिए दोपहर एक बजे विधि विधान के साथ प्रक्रिया आरंभ हुई।
आचार्य औंकार शुक्ला ने पूजा-अर्चना के साथ भकुंट भैरवनाथ जी की प्रार्थना की। इसके बाद भकुंट भैरवनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के अवसर पर देवस्थानम बोर्ड से आचार्य औंकार शुक्ला, प्रशासनिक अधिकारी मंदिर सुपरवाइजर युद्धवीर पुष्पवान, भैरवनाथ जी के पश्वा अरविंद शुक्ला, महावीर तिवारी, मृत्युंजय हीरेमठ, उम्मेद सिंह, सूरज सिंह, भोला सिंह कुंवर, जगदीश, देवी प्रसाद तथा तीर्थ पुरोहित गण मौजूद रहे।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page