नवरात्रः छठे दिन मां कात्यायनी की करें पूजा, शहद का लगाएं भोग
1 min readनवरात्र में दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी के पूजन का प्रावधान होता है। इन्होंने कात्यायन ऋषि के यहां कन्या के रुप में जन्म लिया था। इसके कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। डॉ. आचार्य सुशांत राज बता रहे हैं कि नवरात्रि के छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थापित रहता है। इस दिन साधक को औलोकिक तेज की प्राप्ति होती है।
मां आदिशक्ति ने कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर इनके यहां कन्या के रूप में जन्म लिया था। इनकी साधना से साधक को इस लोक में रहकर भी आलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। इन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए।
कात्यायनी
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की थी। इसलिए ये कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। मां कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। दुर्गा पूजा के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देता है। भक्त को सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। इनका साधक इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त होता है।
आचार्य का परिचय
नाम डॉ. आचार्य सुशांत राज
इंद्रेश्वर शिव मंदिर व नवग्रह शिव मंदिर
डांडी गढ़ी कैंट, निकट पोस्ट आफिस, देहरादून, उत्तराखंड।